ले चल मुझे #बचपन की उन्हीं वादियों में ए #जिन्दगी, जहाँ न कोई ''जरुरत'' थी और न कोई जरुरी था.!! झूठ_बोलते थे फिर भी कितने #सच्चे थे हम ये उन दिनों की ''बात'' है जब बच्चे थे हम सुबह की ''पिटाई'' के बाद स्कूल जाता था, कभी-कभी रोते-रोते #नाश्ता खाता था।