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Bachpan Ki Yaden

ले चल मुझे #बचपन की उन्हीं वादियों में ए #जिन्दगी,
जहाँ न कोई ''जरुरत'' थी और न कोई जरुरी था.!!
झूठ_बोलते थे फिर भी कितने #सच्चे थे हम
ये उन दिनों की ''बात'' है जब बच्चे थे हम
सुबह की ''पिटाई'' के बाद स्कूल जाता था,
कभी-कभी रोते-रोते #नाश्ता खाता था।
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Bir Söz Bir Şiir 🕊

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@birsozbirsiir